आयुर्वेदिक पंचकर्म एवं यौगिक षट्कर्म की तुलनात्मक समीक्षा

2012 
पराचीन भारतीय आयरविजञान जहा जीवन म सवासथय का समावश करन म सहयोगी सिदध होता ह वही योग जीवन म सवासथय एव सौदरय लान की अदवितीय कला ह। इन दोना क पास बिलकल अलग अवधारणाए ह। य विकतियो या वयाधियो का दमननही बलकि उनका शमन करत ह, जिसस उनक पनः आगमन की सभावना भी समापत हो जाती ह। इसलिए इनकी विभिनन करियाओ को उपचार एव शारीरिक विकास हत तजी स परयोग किया जा रहा ह। पचकरम एव षटकरम जो करमशः आयरवद एवयोग क अग ह, दोषो को शरीर स निरहरण करत हए शरीर की शदधि एव मानसिक सतलन म सहायक ह। इन दोनो का उददशय शोधन दवारा तरिदोषो म सामयावसथा सथापित करना होता ह। षटकरम का पचकरम स सदधानतिक मल होन क कारणउचित उपयोग हत इनक मधय वयापत समानताओ व विषमताओ स परिचित होना आवशयक ह। इसी उददशय स इस शोध पतर म मौलिक सिदधानतो, तथयो व शोध परिणामो क आधार पर पचकरम व षटकरम की तलनातमक समीकषा की ह, जिसकपरिणामसवरप इनका उचित परयोग किया जा सक। अतः इस शोध पतर म यह बतान का परयास किया ह कि इनक मधय कछ सदधानतिक समानताय विदयमान ह कयोकि य दोनो करम तरिदोषो का निरहरण करक सामयता सथापित करत ह। पचकरम मऔषधि, मतर व यतर का परयोग किया जाता ह जबकि षटकरम म जल व नमक का ही परयोग होन क कारण इनक मधय करियातमक विषमताओ का भी असतितव ह, जो कि भविषय म होन वाल शोध व वरतमान म जिजञास जन-मानस को इनकमलभत सिदधानतो स परिचित कराकर उनह अगरिम मारग परशसत करन म सहायक बन।
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