वन्यजीव गलियारे: विकास और संरक्षण के अन्तद्र्वन्द्व का समाधान

2020 
विकास की बढ़ती लालसा बहमलय वनयजीवो को दरकिनार कर विनाश क कगार पर जा पहची ह। जानवरो क लगातार हो रह विकास और मानव एव वनयजीवो क बीच चल रह सघरष न सतत और सतलित विकास म सकट उतपनन कर दिया ह। विकास स तातपरय कवल भौतिक परगति स ही नही ह अपित परकति एव अनय पराकतिक घटको जस - जल, वाय, भमि, वनयजीव और अनय सभी ससाधनो क सतत विकास स भी ह। वनयजीव भी मानव की तरह इसी धरती पर रहत ह और परयावरण क महतवपरण घटक ह। वनयजीवो का सरकषण भी उतना ही आवशयक ह जितना मानव का विकास और सरकषण। ऐसी परिसथिति म दोनो क हितो म टकराव सवाभाविक ह।विकास की अनधी दौड म यह तय करना कठिन हो गया ह कि विकास मानवोनमख हो या वनयजीवोनमख और यदि विकास म सनतलन को महतव दिया जाय तो परसपर हितो क टकराव की सथिति म किसका पकष लिया जाय? मानव जनसखया क बढ़त दबाव और वनयजीव आवासो क निरनतर हास न इस परशन को और अधिक विचारणीय बना दिया ह। विकास और सरकषण क अनतदरवनदव का मखय कारण जनसखया विसफोट स ससाधनो पर बढ़ता दबाव ह। बढ़ती जनसखया क आवास, भोजन, आवागमन इतयादि आवशयकताओ की परति क लिए भमि उपयोग म आय परिवरतन न वनयजीव आवासो को सकचित और खणडित कर दिया ह। वनयजीव कवल सरकषित कषतरो म सिमटकर रह गय ह।अतः वनयजीवो का एक पराकतिक आवास स दसर पराकतिक आवास म होन वाला पलायन, मानवीय आवास कषतरो स होना सवाभाविक ह। यही मानव और वनयजीवो क टकराव का परमख कारण ह। अतः वनयजीव गलियारो का विकास एक सीमा तक इस सघरष को कम करन म सहायक सिदध होगा। वनयजीव गलियार, वनयजीवो को एक सरकषित मारग परदान करग और उनह मानव बसतियो स दर रखन म सहायक सिदध होग।
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